राजस्थान में पहली बार ऐसी पहल, युवाओं महिलाओं और किसानों को लाइव दिखाने के ऑर्डर 2023

 राजस्थान में पहली बार ऐसी पहल, युवाओं महिलाओं और किसानों को लाइव दिखाने के ऑर्डर

 राजस्थान की वर्तमान कांग्रेस सरकार का पांचवां और अंतिम बजट शुक्रवार को पेश होगा। सरकार का यह बजट लोक-लुभावना होगा, यह तो बजट से पहले ही साफ तौर पर नजर आ रहा है। लेकिन राजस्थान के इतिहास में पहली बार किसी बजट के लिए इतनी पब्लिसिटी देखने को मिल रही है। पहली बार ऐसा होगा जब सरकार पंचायत स्तर के अंतिम व्यक्ति तक बजट का लाइव टेलीकास्ट कराएगी। इसके लिए गहलोत सरकार ने तैयारियां कर ली हैं

प्रदेश से लेकर जिला और फिर पंचायत स्तर तक के अधिकारियों को आदेश जा चुके हैं। इसके लिए 2 स्तरों पर तैयारियां की गई है। पहली सरकारी स्तर पर है, जहां स्टेट की मशीनरी का उपयोग करते हुए सरकार यह बजट आम व्यक्ति तक पहुंचाएगी। दूसरा कांग्रेस संगठन के स्तर पर भी इस बजट को हर आम नागरिक और कार्यकर्ता तक पहुंचाया जाएगा


बजट को लेकर पहली बार कांग्रेस की कोई सरकार इतनी अग्रेसिव नजर आ रही है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब बजट के आने से पहले ही उसका इतना प्रचार किया जा रहा है। किसी भी राज्य या केंद्र का बजट दोहरे परिणाम लेकर आता है। ऐसे में पार्टियां और सरकारें बजट पेश होने के बाद आमतौर पर उसका प्रचार करती हैं। लेकिन इस बार बजट से पहले ही हर व्यक्ति को टीवी स्क्रीन के सामने ला खड़ा करने की तैयारी है। ऐसा क्यों है, इसके पीछे कई बड़ी वजहें हैं।

 पहले जानते हैं कि इस बार बजट के प्रचार को लेकर ऐसा क्या हो रहा है जो अब तक राजस्थान में नहीं हुआ।



 बजट आने से पहले ही प्रदेशभर में होर्डिंग, बैनर, पोस्टर लगवा दिए गए हैं। ग्रामीण और आदिवासी इलाकों तक बैनर-पोस्टर पहुंचे हैं। दक्षिणी राजस्थान के सबसे रिमोट इलाकों में भी बजट के पोस्टर लगे हैं।


 बजट की स्क्रीनिंग को किसी पब्लिक मीटिंग या इवेंट की तरह प्रचारित कर उसका लाइव टेलीकास्ट कराया जाएगा। लोगों को इकट्ठा कर लाइव वॉल और स्क्रीनिंग तक लाने की तैयारी है।


हर ग्रामीण इलाके में पंचायत स्तर तक एलईडी लगाने की व्यवस्था की जा रही है। चीफ सेक्रेटरी ने इसके लिए प्रदेश की पूरी ब्यूरोक्रेसी को जिला, ब्लॉक और पंचायत स्तर तक लाइव टेलीकास्ट कराने के ऑर्डर दे दिए हैं।

 जिला स्तर पर प्रमुख दफ्तरों के बाहर एलईडी लगाकर लाईव कराने को कहा गया है। कांग्रेस जिला स्तर पर सरपंच, प्रधान, वार्ड पार्षद, विधायक सहित तमाम जनप्रतिनिधियों को बुला रही है। जिला स्तर पर बड़े ऑडिटॉरियम और भवनों में लाइव स्क्रीनिंग कराई जा रही है।


विधानसभा चैनल के साथ-साथ यू-ट्यूब, ट्विटर, फेसबुक हैंडल्स पर लाइव दिखाने की तैयारी है। सरकार ने अखबारों में विज्ञापन छपवाकर सोशल मीडिया हैंडल्स और स्कैनर जारी किए हैं।

 अब जानते हैं लोगों तक बजट के लाइव टेलीकास्ट के लिए क्या किया जा रहा है।

 बजट के लाइव टेलीकास्ट को खासतौर से युवाओं, महिलाओं और किसानों तक पहुंचाने की तैयारी है। जिला स्तर पर यह साफ आदेश दिया गया है कि बजट की स्क्रीनिंग कराकर यूथ, महिलाएं और किसानों को विशेष तौर पर दिखाने को कहा गया है।

 इलाकों के जनप्रतिनिधियों और राजीविका की महिलाओं को विशेष तौर पर बजट की स्क्रीनिंग में मौजूद रहने के लिए कहा गया है।

जिला स्तर पर कलेक्ट्रेट, नगर निगम, यूआईटी, सूचना केंद्र सहित बजट का लाइव टेलीकास्ट होगा। ब्लॉक स्तर पर लाइव वॉल और किसी अच्छे ऑडिटोरियम या हॉल में स्क्रीनिंग कराई जाएगी। वहीं ग्राम पंचायत स्तर पर ई-मित्र प्लस मशीनें और बड़े हॉल में स्क्रीनिंग होगी



 कांग्रेस अपने स्तर पर ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को बजट दिखाएगी। इसके बाद कार्यकर्ताओं को इस बजट को आम लोगों तक पहुंचाकर इसके फायदे गिनाने का टास्क दिया जाएगा।

 ग्राम सचिवों और बीडीओ को लोगों को बजट स्क्रीनिंग तक लाने का टास्क दिया गया है। हर ग्राम पंचायत स्तर पर बने वॉट्सएप ग्रुप के जरिए यह कवायद कराई जा रही है।

कॉलेजों में भी बजट की लाइव स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके लिए राजस्थान के सभी प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों के प्रिंसिपल को आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा ने आदेश जारी किया है। इसमें ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स और टीचर्स को बजट लाइव दिखाने के लिए कहा गया है।

 राजस्थान में पहली बार बजट आने से पहले इस स्तर पर बजट का प्रचार किया जा रहा है। इसे लेकर जब हमने कई राजनीतिक जानकारों से बात की तो उन्होंने इस आक्रामक प्रचार के कई कारण बताए ।

पहला : 1 फरवरी को केंद्र का बजट आया है। इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर केंद्र काफी हद तक बजट को भुनाने में कामयाब रहा है। ऐसे चुनाव से पहले आखिरी बजट होने के चलते केंद्र के बजट को फीका करने के लिए आक्रामक प्रचार किया जा रहा है। गहलोत गरीब-पिछड़ों के लिए घोषणाएं कर सकते हैं। ऐसे में यह भी बताने की कोशिश करेंगे कि जो केंद्र ने नहीं किया वह गहलोत सरकार कर रही है

दूसरा : सीएम अशोक गहलोत इस बजट के माध्यम से खुद की ब्रांडिंग करने में जुटे हैं। लोगों में एक विजनरी नेता के रूप में खुद को प्रस्तुत करने की कोशिश है। अशोक गहलोत ने ओपीएस लागू कर और चिरंजीवी जैसी योजना देकर जन नेता की छवि बनाने की कोशिश की है। उसी को बरकरार रखते हुए इस बजट में भी वे ऐसी ही कुछ योजनाएं लाएंगे। इसी के चलते उन योजनाओं घोषणा को हर व्यक्ति को दिखाने की प्लानिंग है।


तीसरा : कांग्रेस की चिरंजीवी योजना और ओपीएस बहाल करने का असर ग्राउंड पर दिखता है। ऐसे में इस बजट में ऐसी की कुछ घोषणाएं लाकर को हो बैकफुट पर लाना चाहते हैं। चुनाव से पहले अंतिम बजट होने के चलते गहलोत बीजेपी के लिए स्थितियां और मुश्किल करना चाहते हैं।


चौथा : कांग्रेस में आपसी खींचतान है। ऐसे में विरोधी गुट लगातार गहलोत सरकार पर दबाव बनाए हुए है। पेपर लीक और अपराध सहित कई मुद्दों पर कांग्रेस विधायक ही सरकार को घेर रहे हैं। ऐसे में उन तमाम मुद्दों के जवाब में गहलोत एक भव्य बजट पेश कर उस माहौल को भी बदलने की कोशिश में हैं।

पांचवा : 25 सितंबर के ऐपिसोड के बाद से लगातार गहलोत समर्थक नेता ये दावा कर रहे हैं कि गहलोत ने जो जन कल्याणकारी योजनाएं दी हैं, उनका फायदा उठाने के लिए गहलोत का ही नेतृत्व राजस्थान में सबसे बेहतर है। ऐसे में कुर्सी को लेकर चल रही खींचतान के दौर में लोगों से जुड़ा बजट पेश कर और उसका प्रचार कर गहलोत हाईकमान को भी मैसेज देना चाहते हैं।

पार्टी के भीतरी विरोध का गर्वनेंस के माध्यम से जवाब : प्रोफेसर संजय लोढ़ा

बजट के आक्रामक प्रचार को लेकर लोकनीति-सीएसडीएस के प्रदेश संयोजक और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय लोढ़ा कहते हैं कि कांग्रेस पहली बार इस आक्रामक ढंग से बजट का प्रचार कर रही है, यह वर्तमान दौर में उसे मजबूत करने का सही तरीका है। बीजेपी पर दबाव बनाने और गरीब-पिछड़ों पर फोकस किया जा रहा है। पार्टी के भीतर भी जो लोग सवाल उठा रहे हैं उनको जवाब देने के तरीके के तौर पर भी इस प्रचार को देखा जा सकता है। पिछले दिनों पार्टी के भीतर जिन भी लोगों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं, उन्हें गवर्नेस के मॉडल के तौर पर जवाब देने के लिए गहलोत सरकार आक्रामक प्रचार कर रही है

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