अमेरिका की क्रांति (American Revolution) AMERICA KA ITIHAAS

 अमेरिका की क्रांति (American Revolution)

AMERICA KA ITIHAAS

सन् 1442 ई० में कोलम्बस ने एक नई दुनिया अमेरिका तक पहुँचने के समुद्री मार्ग की खोज की। इस खोज से यूरोपीय शक्तियाँ फ़्रांसिसी, डच, स्पेनिश, अंग्रेज आदि इस महाद्वीप में उपनिवेश - स्थापित करने लगे। शुरू में स्पेन सबसे आगे था। लेकिन धीरे-धीरे वहां फ़्रांस और अग्रेज ही बचे । 17वीं शताब्दी तक अंग्रेजो ने वहाँ 13 उपनिवेश स्थापित किये।





उपनिवेशों में रहनेवाले अंग्रेज स्वतंत्रता-प्रेमी थे. वे अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मातृभू छोड़कर उपनिवेशों में जा बसे थे। लेकिन जब जॉर्ज तृतीय (George II Kingdom) ने उपनिवेशों पर अपना निरंकुश शासन लादना चाहा तो स्वतंत्रता-प्रेमी अमेरिकी उपनिवेशवासियों ने जार्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में एवं फ्रांसीसी सेना के सहयोग से विद्रोह कर दिया।

युद्ध इंग्लैंड एवं स्पेन के मध्य 1588 ई. में भीषण नौसैनिक में स्पेन की पराजय के पश्चात इंग्लैण्ड ने 1775 ई. तक अमेरिका में 13 ब्रिटिश उपनिवेश बसाए। इन उपनिवेशों को भौगोलिक दृष्टि से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-


1. उत्तरी भाग में- मेसाचुसेट्स, न्यू हैम्पशायर, रोड्स द्वीप- ये पहाड़ी और बर्फीले क्षेत्र थे । अतः कृषि के लायक न थे । इंग्लैंड को यहां से मछली और लकड़ी प्राप्त होती थी ।


2. मध्य भाग में न्यूयार्क, न्यूजर्सी, मैरीलैंड आदि थे। इन - क्षेत्रों में शराब और चीनी जैसे उद्योग थे 




3. दक्षिणी भाग में उत्तरी कैरोलिना, दक्षिणी कैरोलिना, - जॉर्जिया, वर्जीनिया आदि थे। यहां की जलवायु गर्म थी। खेती के लिए उपयुक्त इस क्षेत्र में अनाज, गन्ना, तम्बाकू, कपास और बागानी फसलों का उत्पादन होता था ।


इन उपनिवेशों में 90% अंग्रेज़ और 10% डच, जर्मन, फ्रांसीसी, पुर्तगाली आदि थे। इस तरह यह पश्चिमी दुनिया (यूरोप के विभिन्न देश के निवासी) तथा नई दुनिया (धार्मिक सामाजिक वातावरण भिन्न, मिश्रित संस्कृति) दोनों का हिस्सा था।

यूरोपियों के अमेरिका में बसने का कारण



धार्मिक कारक - यूरोप में धर्मसुधार आंदोलन - प्रोटेस्टेंट धर्म का प्रचार - धर्म युद्ध तथा जेम्स प्रथम और चार्ल्स प्रथम की धार्मिक असहिष्णुता की नीति - अमेरिका प्रवास


 आर्थिक कारक – औद्योगिकीकरण के साथ साथ इंग्लैण्ड भी स्पेन की तरह उपनिवेश (कच्चा माल का आपूर्तिकर्ता एवं बने माल का बाजार) बनाकर धन कमाना चाहता था । ब्रिटेन में बहुत किसान भूमिहीन हो गए और वे अमेरिका जाकर आसानी से मिलने वाली भूमि को साधारण मूल्य पर खरीदना चाहते थे। भूमिहीन कृषकों के साथ-साथ भिखारियों एवं अपराधियों की संख् जा रही थी। अतः उन्हें अमेरिका भेजना उचित समझा गया। उसी प्रकार आर्थिक कठिनाइयों से त्रस्त लोगों को ब्रिटिश कंपनियां अपने खर्च पर अमेरिका ले जाती और उनसे मजदूरी करवाती।


 अमेरिकी क्रांति के कारण स्वतंत्रता की चेतना :


जातीय / नृजातीय समानता ब्रिटिश और अमेरिकी दोनों ही मूल रूप में अंग्रेज़ ही थे, स्वतन्त्रता, - समानता से परिचित थे,


सामाजिक भिन्नता - इंग्लैंड (सामंतवादी, रुढ़िवादी और कृत्रिम ) जबकि अमेरिका ( जनतंत्रात्मक, मौलिक और आदर्शवादी)


आरंभ में ब्रिटिश सरकार का सीमित हस्तक्षेप - गौरवशाली क्रांति (रक्तहीन क्रांति) 1688 एवं संसद के बीच निरंतर संघर्ष योग्य नेतृत्व एवं निरंतर संपर्क का अभाव  1688 


 धार्मिक मतभेद – रोमन कैथोलिक (ब्रिटिश) बनाम प्रोटेस्टेंट (अमेरिकी ) संघर्ष


9967723 - सरकारी पदों पर दोषपूर्ण नियुक्ति - उच्च सरकारी पदों पर केवल इंग्लैंड निवासी ही नियुक्ति के योग्य


दोषपूर्ण शासन :

राजनैतिक कारक - शासन संचालन गवर्नर के द्वारा, गवर्नर की परिषद के सदस्य विशेष लोगों द्वारा चुने जाते थे जिन्हें कानून बनाने का अधिकार तो था परंतु गवर्नर उनके निर्णयों को बदल सकता था


 अमेरिकी क्रांति के कारण बौद्धिक विचारकों की भूमिका

बुद्धिजीवी वर्ग का नेतृत्व - बेंजामिन फ्रैंकलिन, थॉमस जेफरसन, जेम्स विल्सन, जॉन एडम्स, टॉमस पेन, जेम्स ओटिस, सैमुअल एडम्स आदि ने मातृदेश के प्रति उपनिवेशों के प्रतिरोध का औचित्य बताया। जॉन लॉक, जॉन मिल्टन, जेफरसन, रूसो, वाल्टेयर, मांटेस्क्यू जैसे दार्शिनकों का प्रभाव उपनिवेशवासियों पर पड़ा था। टॉमस पेन, जेम्स ओटिस जैसे लेखकों ने राजा के दैवी अधिकार के विरुद्ध आवाज़ उठाई, इससे भी लोगों में जागरण आया।

सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63):

 फ्रांस के विरुद्ध युद्ध से अमेरिकी सैनिकों का आत्मविश्वास बढ़ा, कनाडा के ब्रिटिश नियंत्रण में आने से फ्रांस के हमले का संकट समाप्त हो गया


 मूल निवासियों (रेड इंडियन्स) के लिए आरक्षित क्षेत्र 1763- अमेरिकी अब पश्चिमी की ओर बढ़ाना चाहते थे और इस क्षेत्र के मूल निवासी रेड इंडियंस को खदेड़ देना चाहते थे। हुआ। इंग्लैंड ने फ्लोरिडा, मिसीसिपी आदि पश्चिमी के क्षेत्र रेड इंडियन के लिए सुरक्षित कर दिया। इससे उपनिवेशवासियों का पश्चिमी की ओर प्रसार रूक गया और वे इंग्लैंड की सरकार को अपना शत्रु समझने लगे ।

 अमेरिकी क्रांति के कारण

व्यापारिक एवं औद्योगिक प्रतिबंध :

नौपरिवहन कानून - इंग्लैंड और उपनिवेशों के बीच तथा उपनिवेशों एवं अन्य यूरोपीय देशों के बीच वस्तुओं का आयात-निर्यात ब्रिटिश जहाज़ों के द्वारा ही होता था ।

 औद्योगिक कानून - अमेरिकी, इंग्लैंड के साथ व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता नहीं कर सकते थे (1689 के कानून द्वारा उपनिवेशों से ऊनी माल तथा 1732 ई. के कानून द्वारा टोपों (Hats) का निर्यात् बंद कर दिया गया) और न इंग्लैंड के शत्रु- देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध कायम कर सकते थे । अमेरिकी तांबा, लोहा, सूती कपड़ों जैसी आवश्यक वस्तुओं का उद्योग स्थापित नहीं कर सकते थे।


 व्यापारिक कानून - कुछ वस्तुएँ कपास, चावल, चीनी, तम्बाकू केवल इंग्लैंड ही भेजी का सकती थीं। जबकि अन्य यूरोपीय देश उन्हें अधिक कीमत देने को तैयार थे। 

अमेरिकी क्रांति के कारण

शासकों की नीतियाँ :

 ग्रेनविले की नीति -

सप्तवर्षीय युद्ध  आर्थिक संकट अमेरिका से आने वाली आय व्यय का ब्योरा - ब्रिटेन को अपेक्षित - आय नहीं

1.  पुराने क़ानूनों (नेविगेशन एक्ट 1651, चुंगी की वसूली आदि) का कड़ाई से पालन

2. चोरबाजारी सम्बन्धी मामलों की जाँच के लिए एडमिरैल्टी कोर्ट (Admiralty Court) की J स्थापना

3. नए करों का आरोपण :

1.  (स्टाम्प एक्ट 1765- अखबारों, कानूनी कागजातों, बंधक सम्बन्धी दस्तावेजों और इश्तहारों पर सरकारी टिकट लगाना अनिवार्य, विरोध के कारण 1766 ई. में बंद, n


2.  शुगर एक्ट (Molasses Act) 1733- गैर-ब्रिटिश उपनिवेशों से शीरा, शक्कर या रम आयात करने पर कर) > “प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं (No Taxation Without Representation ) ” का नारा


3. अमेरिकी क्रांति (American Revolution)

 अमेरिकी क्रांति के कारण


4. टाउनसैंड की नई कार्य योजना 1767 -


इंग्लैंड में विलियम पिट की सरकार बनी और टाउनसैंड वित्तमंत्री बना- टाउनसैंड का मानना था की अमेरिकी आंतरिक करों का विरोध करते हैं बाह्य करों का नहीं पाँच वस्तुओं चाय, सीसा, कागज, सिक्का, रंग और धातु पर बाह्य कर (सीमा शुल्क) लगाया जिसका आयात अमेरिका इंग्लैंड से करता था। अमेरिकियों ने इन बाह्य करों का भी विरोध किया


लॉर्ड नार्थ की चाय नीति 1773 ई. -


बोस्टन चाय पार्टी की घटना 1773- अब पहले की भांति कम्पनी के जहाजों को इंग्लैंड के बंदरगाहों पर आने और चुंगी देने की आवश्यकता नहीं थी। 16 दिसम्बर 1773 को सैमुअल बोस्टन बंदरगाह पर ईस्ट इंडिया कम्पनी के जहाज में भरी हुई चाय की पेटियों को समुद्र में फेंक दिया गया। 

 अमेरिकी क्रांति की प्रमुख घटनाएँ

 स्टाम्प एक्ट 1765 अखबारों, कानूनी कागजातों, बंधक सम्बन्धी दस्तावेजों और इश्तहारों पर सरकारी टिकट लगाना अनिवार्य, विरोध -'मैसच्युसेट' सभा -प्रतिनिधित्व नही तो कर नही No Taxation Without Representation 1766 ई. वापस लिया गया। 


 बोस्टन चाय पार्टी 1773- सन् 1773 ई० में जब अंग्रेजी जहाज चाय की खेप लेकर बोस्टन (अमेरिकी बन्दरगाह) पर पहुँचा, तो अमेरिका के निवासियों ने रेड इंडियन के वेशभूषा में चाय पर लगाये गए कर के विरोध में चाय की पेटियों को समुद्र में फेंक दिया। यह घटना 'बोस्टन टी पार्टी a नाम से प्रसिद्ध है ।


 बोस्टन हत्याकांड 1770-73-1770 ई० से 1773 ई० के बीच बोस्टन नगर में अमेरिकी नागरिको एवं अंग्रेज सैनिको के बीच संघर्ष हुए। ब्रिटिश सरकार के आदेश पर अमेरिकी नागरिको को गोलियों से भून दिया गया।


फिलाडेल्फिया सम्मेलन (प्रथम महाद्वीपीय सम्मेलन ) 1774 बिना उपनिवेशों के सहमति के उन पर - किसी प्रकार का कर न लगाया जाय। ब्रिटिश सरकार ने इसे क्रांति का प्रतीक मानकर इसका दमन करने लगी। जिसके परिणाम स्वरूप 1775 ई० में अमेरिकियो ने अंग्रेजो के विरुद्ध आंदोलन आरम्भ कर दिया।

 अमेरिकी क्रांति की प्रमुख घटनाएँ

 द्वितीय महाद्वीपीय सम्मेलन 1776 - 4 जुलाई, 1776 ई० को उपनिवेशों ने दूसरा महाद्वीपीय सम्मेलन > पूर्ण स्वतन्त्रता की प्राप्ति की घोषणा स्वतंत्रता संग्राम आरम्भ


अमेरिकी स्वतन्त्रता की घोषणा और स्वाधीनता संग्राम का आरम्भ - 4 जुलाई, 1776 ई० को अमेरिका ने स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी और इसी के साथ स्वतन्त्रता आंदोलन प्रारम्भ हो गया ।


विदेशी शक्तियों का सहयोग - फ्रांस ( सप्तवर्षीय युद्ध का बदला ) और स्पेन (जिब्राल्टर इंग्लैंड से वापस लेना चाहता था) ने अमेरिकियों का साथ दिया। 1780 में हॉलैंड भी इंग्लैंड के विरूद्ध युद्ध में शामिल हो गया क्योंकि हॉलैंड सूदूर-पूर्व एशिया ओर द. पू. एशिया में अपनी शक्ति सुदृढ़ करने के उद्देश्य इंग्लैंड को अंध महासागर में फंसाए रखना चाहता था । रूस, डेनमार्क और स्वीडन ने भी हथियारबंद तटस्थता की घोषणा कर दी जो प्रकारांतर से इंग्लैंड के विरूद्ध ही थी । 23


 सारागोटा में ब्रिटिश सेना की पराजय - सन् 1777 ई० में ब्रिटिश जनरल बरगायने के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना सारागोटा में घेर ली गयी । सेनापति ने जार्ज वाशिंगटन के सामने शस्त्र डाल दिए । in


यॉर्क टाउन में अंग्रेजो की पराजय - सन् 1781 ई० में लार्ड कार्नवालिस यॉर्क में बुरी तरह पराजित हुआ। इसके परिणाम स्वरूप 3 सितंबर 1783 को पेरिस की संधि हुई।


 संयुक्त राज्य अमेरिका का जन्म हुआ और 1789 ई० में अमेरिका का लिखित संविधान बना ।

इंग्लैंड की असफलता के कारण

 विशाल युद्ध स्थल : अमेरिकी तट इतना अधिक विस्तृत था कि ब्रिटिश नौसेना प्रभावहीन हो गई और इंग्लैंड के यूरोपीय शत्रुओं उपनिवेशवासियों का पक्ष लिया और युद्ध क्षेत्र और भी विस्तृत हो गया। SUcan


 युद्ध स्थल का इंग्लैंड से अत्यधिक दूर होना ।

 उपनिवेशों की शक्ति का इंग्लैंड द्वारा गलत अनुमान ।

 जार्ज तृतीय का अलोकप्रिय शासन 

जार्ज वाशिगंटन का कुशल नेतृत्व 

 विदेशी सहायता- फ्रांस, स्पेन, हॉलैंड ने इंग्लैंड के विरुद्ध अमेरिकियों का साथ दिया, रूस, डेनमार्क और स्वीडन ने भी हथियारबंद तटस्थता की घोषणा कर दी जो प्रकारांतर से थी । 

अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के प्रभा

प्रो. ग्रीन का कथन है कि “अमेरिका के स्वतंत्रता युद्ध का महत्व इंग्लैंड के लिए चाहे कुछ भी क्यों न हो परन्तु विश्व इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण घटना है।” इस क्रांति का प्रभाव अमेरिका, इंग्लैंड सहित अन्य देशों पर भी पड़ा।

अमेरिका पर प्रभाव



स्वतंत्र प्रजातांत्रिक गणराज्य की स्थापना : नए संयुक्त राज्य अमेरिका ने विश्व के समक्ष चार नए राजनीतिक आदर्श गणतंत्र, लोकतंत्र, संघवाद (संघात्मक शासन व्यवस्था) और संविधानवाद (लिखित संविधान) को प्रस्तुत किया।

 धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना : नए संविधान के अनुसार चर्च को राज्य से अलग किया गया ।

7723 3. सामाजिक प्रभाव : मानवीय समानता पर विशेष बल दिया गया। स्त्रियों को संपत्ति पर पुत्र के समान उत्तराधिकार प्राप्त हुआ और उनकी शिक्षा के लिए स्कूलों की स्थापना की गई। इस तरह उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ। क्रांति से मध्यम वर्ग की शक्ति बढ़ी।

आर्थिक प्रभाव : क्रांति ने आर्थिक क्षेत्र में मूलतः मुक्त व्यापार की नीति एवं पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के विकास के मार्ग की सभी बाधाओं को समाप्त कर इसके विकास को प्रोत्साहित किया ।

अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के प्रभाव

इंग्लैंड पर प्रभाव

जार्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अंत : राजतंत्र की प्रतिष्ठा कम हुई संसद का प्रभुत्व बढ़ा। इंग्लैंड द्वारा नए उपनिवेशों की स्थापना : जैसे - आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड में उपनिवेश की स्थापना इंग्लैंड की औपनिवेशिक नीति में परिवर्तन : ब्रिटिश सरकार ने अमेरिकी क्रांति से सीख लेते हुये अ श्वेत उपनिवेशों के प्रति “उदरवादी नीति” एवं अश्वेत उपनिवेशों के प्रति “कठोर नियंत्रण की नीति” अपनाई। परिवर्तित नीति के आधार पर ही 19वीं एवं 20वीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार ने “ब्र कामन्वेल्थ ऑफ नेशन्स” अर्थात् ब्रिटिश राष्ट्र मंडल की स्थापना की इंग्लैंड द्वारा वाणिज्यवादी सिद्धान्त का परित्याग : उपनिवेशों के छिन जाने के बाद इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका में पहले से भी अधिक व्यापार होने लगा तो अधिकांश देशों का “वाणिज्य सिद्धान्त” से विश्वास उठ गया। स्वयं इंग्लैंड ने भी इस नीति का परित्याग कर दिया और मुक्त व्यापार की नीति को अपनाया अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के प्रभाव

फ्रांस पर प्रभाव इस युद्ध में फ्रांस ने अमेरिका का पक्ष लिया और इस तरह सप्तवर्षीय युद्ध में ब्रिटिश के हाथों मिली पराजय का बदला लिया। परन्तु युद्ध के आर्थिक व्यय ने फ्रांस की स्थिति को और भी दयनीय बना दिया। फलतः फ्रांस में जनता असंतुष्ट हुई और फ्रांस की राज्यक्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ ।

 युद्ध से वापस लौटे सैनिकों ने फ्रांस में अमेरिकी क्रांति के प्रगतिशील विचारों का प्रसार किया। “लफायत” नामक सैनिक कमांडर ने अमेरिकी क्रांति की भावना फ्रांसीसी जनमानस तक पहुंचाई। GI

वस्तुतः फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य सिद्धान्त स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व का मूल अमेरिकी संघर्ष में देखा जा सकता है। मूल अमेरिक 23

आयरलैंड पर प्रभाव

अमेरिकी नारा “प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नही” आयरलैंड में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ फलस्वरूप 1782 ई. में ब्रिटिश सरकार ने आयरलैंड की संसद को विधि निर्माण का अधिकार दे दिया ।

अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के प्रभाव

भारत पर प्रभाव

भारत पर अमेरिकी क्रांति का प्रभाव प्रतिकूल रूप से पड़ा। अमेरिकी क्रांति से सीख लेकर ब्रिटेन ने भारतीय उपनिवेश के आंतरिक मामलों में आरंभिक चरण से सक्रिय हस्तक्षेप जारी रखा और वहां के निवासियों की स्वतंत्रता को सीमित रखा। सहायक संधि एवं विलय की नीति के माध्यम से भारत के आंतरिक मामलों में ब्रिटिश हस्तक्षेप किया गया एवं फूट डालों तथा शासन करो की नीति अपना भारतीय वर्गों को अलग-अलग रखा गया। इस तरह अमेरिकी स्थितियों से सीख लेते हुए भारत में उन 23 स्थितियां को उत्पन्न किया गया जिससे लोग बंटे रहे और औपनिवेशक साम्राज्य पर ब्रिटिश साम्राज्य की पकड़ बनी रहे।

इस तरह हम कह सकते हैं कि अमेरिकी स्वतंत्रता युद्ध ने ब्रिटेन को एक साम्राज्य से तो वंचित कर दिया लेकिन एक-दूसरे साम्राज्य की नींव को मजबूत कर दिया । 21 अमेरिकी कांति (American Revolution)

 अमेरिकी क्रांति का स्वरूप

मध्यवर्गीय स्वरूप :


बुद्धिजीवी मध्य वर्ग का नेतृत्व - बेंजामिन फ्रैंकलिन, थॉमस जेफरसन, जेम्स विल्सन, जॉन एडम्स टॉमस पेन, जेम्स ओटिस, सैमुअल एडम्स आदि ने मातृदेश के प्रति उपनिवेशों के प्रतिरोध का औचित्य बताया। जॉन लॉक, जॉन मिल्टन, जेफरसन, रूसो, वाल्टेयर, मांटेस्क्यू जैसे दार्शिनकों का प्रभाव उपनिवेशवासियों पर पड़ा था। टॉमस पेन, जेम्स ओटिस जैसे लेखकों ने राजा के दैवी अधिकार के विरुद्ध आवाज़ उठाई, इससे भी लोगों में जागरण आया ।


समाज के विभिन्न वर्गों की भी भागेदारी इसमें रही - गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली, धर्म की स्थापना, न्यायपालिका की स्वतन्त्रता, मानवाधिकारों की घोषणा आदि इसका स्वरूप लोकप्रिय बनाते हैं 


प्रगतिशील स्वरूप :


 लिखित संविधान, गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली, धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना, न्यायपालिका की स्वतन्त्रता, शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त, नियंत्रण एवं संतुलन का सिद्धान्त, मानवाधिकारों की घोषणा इसे प्रगतिशील बनाते हैं, दूसरी ओर


 दास प्रथा को जारी रखना एवं महिलाओं को मताधिकार से वंचित रखना इसकी प्रगतिशीलताको सीमित करता है । अमेरिकी क्रांति 

अमेरिकी क्रांति का स्वरूप


उपनिवेशवाद विरोधी स्वरूप :


उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रथम क्रांति जिसने सम्पूर्ण विश्व को प्रेरित किया क्रांति एवं स्वतन्त्रता संग्राम के रूप में 


अमेरिकी स्वतंत्रता के रूप में यह साम्राज्यवाद के विरुद्ध के स्वतंत्रता संग्राम तो है ही परंतु इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व में पड़ा एवं इसने लिखित संविधान, गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली, धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना, न्यायपालिका की स्वतन्त्रता, शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त, नियंत्रण एवं संतुलन का सिद्धान्त, मानवाधिकार आदि जैसे प्रगतिशील विचारों से विश्व का परिचय भी कराया इस दृष्टि से यह एक क्रांति के तुल्य है।

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